रॉलेट एक्ट 1919

 

रॉलेट एक्ट 1919

रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act) : प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर जब भारतीय जनता संवैधानिक सुधारों का इंतजार कर रही थी, तब ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी रॉलेट एक्ट को जानता के सम्मुख पेश कर दिया। रॉलेट एक्ट 26 जनवरी, 1919 को पास हुआ। यह एक्ट ब्रिटेन के हाई कोर्ट के जज “सर सिडनी रौलेट” की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित था।

Rowlactt Act

रॉलेट एक्ट की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत हैं-

  • क्रांतिकारियों पर शीघ्र कार्यवाही करने हेतु लाया गया था।
  • ब्रिटिश सरकार को भारतीयों पर केवल संदेह होने पर बिना मुकदमा चलाए अनिश्चितकाल तक नजर बंद व 2 साल तक जेल में रखने का अधिकार प्राप्त हो गया।
    • जेल में रखे व्यक्ति को मुकदमें की धाराएं एवं मुकदमा दर्ज कराने वाले व्यक्ति का नाम तक जानने का अधिकार इस एक्ट द्वारा छीन लिया गया।
  • क्रांतिकारियों से सम्बन्धित मुकदमों को तीन जजों की विशेष त्वरित अदालत में चलाया जाए। निचली अदालतों में इन मुकदमों के सम्बन्ध में कोई अधिकार नहीं था। इस प्रावधान से दोषी द्वारा पुनः अपील की गुंजाईश को समाप्त कर दिया गया।
  • संदेह के आधार पर किसी व्यक्ति को किसी विशेष स्थान पर जाने, सभा करने व किसी विशेष कार्य को करने से प्रतिबंधित किया जा सकता था।
  • ब्रिटिश सरकार विरोधी किसी भी सामग्री का संग्रहण, प्रकाशन व वितरण गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।
  • इस एक्ट के द्वारा कोर्ट को ऐसी सामग्रियों को साक्ष्य के रूप में स्वीकृति देने का अधिकार प्राप्त हो गया जोकि “भारतीय साक्ष्य अधिनियम” के अंतर्गत मान्य नहीं है।
  • अपने पूर्ववर्ती अभियानों से प्रसिद्ध व साहसी हो चुके गाँधी जी ने प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के विरोध में देशव्यापी आंदोलन का आवाहन किया।
  • ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को प्रथम विश्व युद्ध में सहयोग देने के बदले संवैधानिक सुधार करने की बात मानी थी। परन्तु विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटिश सरकार मुकर गई और इस एक्ट को पारित कर दिया, जिसे भारतीयों ने अपना घोर अपमान समझा। संवैधानिक प्रतिरोध का जब सरकार पर कोई असर नहीं हुआ तो गाँधी जी ने सत्याग्रह प्रारम्भ करने का निर्णय किया। एक “सत्याग्रह सभा” गठित की गयी तथा होमरूल लीग के युवा सदस्यों से सम्पर्क कर अंग्रेजी हुक़ूमत के विरूद्ध संघर्ष करने का निर्णय हुआ।
    • प्रचार कार्य प्रारम्भ हो गया।
    • राष्ट्रव्यापी हड़ताल, उपवास तथा प्रार्थना सभाओं के आयोजनों का फैसला किया गया।
    • गिरफ्तारी देने की योजना भी बनाई गई। प्रमुख कानूनों के भी अवहेलना करनी थी।
    • सत्याग्रह प्रारम्भ करने के लिए 6 अप्रैल की तारीख तय की गयी।
    • किन्तु तारीख की ग़लतफहमी के कारण सत्याग्रह प्रारम्भ होने से पहले ही आंदोलन ने हिंसक स्वरूप धारण कर लिया।
    • कलकत्ता, बंबई, दिल्ली, अहमदाबाद इत्यादि स्थानों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई तथा अंग्रेज विरोधी प्रदर्शन आयोजित किये गये।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सरकारी दमन, बलपूर्वक नियुक्तियों तथा कई कारणों से त्रस्त पंजाब में ये हिंसात्मक प्रतिरोध सबसे गंभीर थे।अमृतसर और लाहौर में तो स्थिति पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो गया।
  • पंजाब में सेना शासन लागू कर दिया गया था।
  • गाँधी जी ने पंजाब जाकर यथास्थिति को संभालने का प्रयास किया, किन्तु उन्हे हरियाणा के निकट रोक कर बम्बई भेज दिया गया।
  • तत्पश्चात 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी) के दिन जलियांवाला बाग की घटना हुयी।

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