राजा राममोहन राय
- राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 में बंगाल में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- राजा राममोहन राय को 15 वर्ष की आयु में ही बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी भाषाओं का अच्छा-खासा ज्ञान हो गया था।
- राजा राममोहन राय ने केवल 17 वर्ष की आयु में मूर्ति पूजा का विरोध किया।
- अपने जीवन काल में इन्होंने अरबी, अंग्रेजी, ग्रीक, हिब्रू(इसराइल) आदि भाषाओं का अध्ययन किया।
- इन्होनें धार्मिक ग्रंथ वेद एवं उपनिषदों का बांग्ला एवं अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
- 1805 में बंगाल में ईस्ट इण्डिया कंपनी में कार्य करने लगे।
- 1814 ई० में इस्तीफा देकर कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) चले गये एवं वहां लोगों की सेवा करना प्रारम्भ कर दिया।
- जनता की सेवा हेतु 1815 में आत्मीय सभा की स्थापना की।
- राजा राममोहन राय ने 1816 में पहली बार अंग्रेजी भाषा में HINDUISM(हिंदुत्व) शब्द का इस्तेमाल किया।
- राजा राममोहन राय ने ईसाई धर्म पर “प्रिसेप्ट ऑफ जीसस” नाम की किताब 1820 ई० में लिखी थी।
- इन्होने समाचार पत्र की स्वतंत्रता के लिए काफी प्रयास किया।
- 1821 में राजा राममोहन राय ने बंगाली भाषा में “संवाद कौमुदी” नाम का साप्ताहिक अखबार शुरू किया।
- इसके बाद राजा राममोहन राय ने फारसी भाषा का पहला अखबार “मिरात-उल-अखबार” शुरू किया। ये भी एक साप्ताहिक अखबार था।
- 1825 में राजा राममोहन राय ने ‘वेदांत कॉलेज’ की स्थापना कलकत्ता में की।
- 1828 में राजा राममोहन राय ने ‘ब्रह्म सभा’ की स्थापना की आगे चलकर 1830 में ब्रह्म समाज बन गया।
- राजा राम मोहन राय ने लॉर्ड विलियम बैंटिक की सहायता से 1829 में सती प्रथा का अंत कर दिया।
- राजा राम मोहन राय ने भारतीय समाज को बाल विवाह से भी निजात दिलायी।
- राजा राममोहन राय ने इंग्लिश शिक्षा का समर्थन किया।
- राजा राममोहन राय को अकबर द्वितीय ने ‘राजा’ की उपाधी दी थी।
- राजा राममोहन राय को “आधुनिक भारत का जन्मदाता” एवं “नव भारत का पैगंबर” भी कहा जाता है।
- 27 सितम्बर 1833 में इंग्लैण्ड में ब्रिस्टल नामक जगह पर राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गयी।
- राजा राममोहन राय को ‘भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह’ के नाम से भी जाना जाता है।
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