सिन्धु नदी तंत्र

  

  • सिंधु नदी तिब्बत के मानसरोवर के निकट सानोख्याबाब (सिन-का-बाब) ग्लेशियर से निकलती है।
  • भारत में केन्द्र शासित प्रदेश लेह में प्रवेश करती है। फिर पाकिस्तान में तथा वहां से अरब सागर में गिर जाती है।
  • सिंधु नदी की पांच महत्वपूर्ण सहायक नदियां हैं-
    • झेलम- झेलम नदी लेह से बेरीनाग के पास शेषनाग झील से निकलती है। आगे जाकर चिनाब नदी में मिल जाती है।
    • चिनांब- चिनाब नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश से होता है।
    • रावी नदी- हिमाचल प्रदेश से निकलती है तथा पाकिस्तान में जाकर चिनाब नदी में मिल जाती है।
    • व्यास नदी- उद्गम और विलय दोनों भारत में ही होता है। हिमाचल प्रदेश से निकलती है, तथा पंजाब में कपूरथला (हरीके) में सतलज नदी में मिल जाती है।
    • सतलुज नदी- तिब्बत में मानसरोवर के निकट राकसताल हिमनद से निकलती है। भारत में हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है जबकि सिंधु नदी लेह में प्रवेश करती है। सतलुज में पंजाब में व्यास नदी मिल जाती है। आगे चलकर पाकिस्तान में ये चिनाब नदी से मिलती है। जिसमें पहले ही झेलम और रावी मिल चुकी है। अंततः सतलुज नदी, सिंधु नदी में मिल जाती है और इसे पंचनद भी कहा जाता है।
  • सिंधु नदी की सहायक नदियों का उत्तर से दक्षिण की तरफ का क्रम –
    • झेलम
    • चिनाब
    • रावी
    • व्यास
    • सतलुज
  • सिंधु नदी तंत्र में 2 नदियां तिब्बत से आती है –
    • सिंधु नदी
    • सतलुज नदी
  • सिंधु व सतलुज दोनों ही नदियां मानसरोवर के निकट से निकलती है परन्तु ग्लेशियर अलग-अलग है ।
    • सिंधु नदी- सानोख्याबाब (सिन-का-बाब) हिमनद
    • सतलुज नदी- राकसताल हिमनद
  • चिनाब, रावी और व्यास हिमाचल प्रदेश से निकलती है।
    • चिनाब – बारालाचला दर्रा के पास से
    • रावी – कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के पास से
    • व्यास – रोहतांग दर्रे के पास व्यास कुंड से
  • पांचों नदियां जाकर सिंधु नदी में पाकिस्तान के पठानकोट में मिल जाती है।
  • लेह नामक शहर सिंधु नदी के किनारे बसा है।
  • सिंधु नदी जास्कर (ज़ंस्कार) एवं लद्दाख की पहाड़ियों के बीच से बहती है।
  • श्रीनगर झेलम नदी के किनारे बसा है।
  • सतलुज नदी हिमाचल प्रदेश में शिपकिला दर्रे के समीप से प्रवेश करती है।
  • इन नदियों को लेकर भारत-पाकिस्तान में 1960 में सिंधु जल समझौता सम्झौता (Indus River Treaty) हुआ था जिसके अनुसार भारत केवल –
    • सिंधु, चिनाब और झेलम का मात्र 20% जल ही इस्तेमाल करेगा। परन्तु रास्ता प्रभावित या अवरुद्ध नहीं कर सकता।
    • रावी, सतलुज और व्यास का 80% जल इस्तेमाल कर सकते है तथा इनका रास्ता भी प्रभावित कर सकता है।

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