Rajasthan RBSE Class 10 Hindi Model Paper 2 English Medium
Rajasthan RBSE Class 10 Hindi Model Paper 2 English Medium
पूर्णांक : 80
समय : 3 ¼ घण्टे
समय : 3 ¼ घण्टे
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड : 1
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
उपासना की दृष्टि से कई लोग काफी बढ़-चढ़े होते हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि जहाँ दूसरे लोग भगवान् को बिल्कुल ही भूल बैठे हैं, वहाँ वह व्यक्ति ईश्वर का स्मरण तो करता है, औरों से तो अच्छा है। इसी प्रकार जो बुराइयों से बचा है, अनीति और अव्यवस्था नहीं फैलाती, संयम और मर्यादा में रहता है, वह भी भला है। उसे बुद्धिमान् कहा जाएगा, क्योंकि दुर्बुद्धि को अपनाने से जो अगणित विपत्तियाँ उस पर टूटने वाली थीं, उनसे बच गया। स्वयं भी उद्विग्न नहीं हुआ और दूसरों को भी विक्षुब्ध न करने की भलमनसाहत बरतता रहा। ये दोनों ही बातें अच्छी हैं। ईश्वर का नाम लेना और भलमनसाहत से रहना, एक अच्छे मनुष्य के लिए योग्य कार्य है। उतना तो हर समझदार आदमी को करना ही चाहिये था। जो उतना ही करता है, उसकी उतनी तो प्रशंसा की ही जाएगी कि उसने अनिवार्य कर्तव्यों की उपेक्षा नहीं की और दुष्ट दुरात्माओं की होने वाली दुर्गति से अपने को बचा लिया।
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। [1]
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। [1]
प्रश्न 2.
एक अच्छे मनुष्य के लिए योग्य कार्य कौन से हैं ? (उत्तर-सीमा : 40 शब्द) [1]
एक अच्छे मनुष्य के लिए योग्य कार्य कौन से हैं ? (उत्तर-सीमा : 40 शब्द) [1]
प्रश्न 3.
दुर्बुद्धि को अपनाने का क्या परिणाम होता है ? (उत्तर-सीमा : 60 शब्द) [2]
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
लक्ष्य तक पहुँचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा।
लक्ष्य तक अति दूर दुर्गम मार्ग भी हम जानते हैं,
किन्तु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं,
जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विराम कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता
देखते ही देखते वह लक्ष्य को ही वेध करता
लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसा।। लक्ष्य तक_______ ।
बस ही है पथिक जो पथ पर निरन्तर अग्रसर हो,
हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो।
हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
बाल रवि की स्वर्ण किरणें निमिष में भू पर पहुँचतीं,
कालिमा का नाश करतीं, ज्योति जगमग जगत धरती
ज्योति के हम पुंज फिर हमको अमा से भीति कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
आज तो अति ही निकट है देख लो वह लक्ष्य अपना,
पग बदाते ही चले बस शीघ्र होगा सत्य सपन।
धर्म-पथ के पथिक को फिर देव दक्षिण वाम कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
लक्ष्य तक अति दूर दुर्गम मार्ग भी हम जानते हैं,
किन्तु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं,
जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विराम कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता
देखते ही देखते वह लक्ष्य को ही वेध करता
लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसा।। लक्ष्य तक_______ ।
बस ही है पथिक जो पथ पर निरन्तर अग्रसर हो,
हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो।
हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
बाल रवि की स्वर्ण किरणें निमिष में भू पर पहुँचतीं,
कालिमा का नाश करतीं, ज्योति जगमग जगत धरती
ज्योति के हम पुंज फिर हमको अमा से भीति कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
आज तो अति ही निकट है देख लो वह लक्ष्य अपना,
पग बदाते ही चले बस शीघ्र होगा सत्य सपन।
धर्म-पथ के पथिक को फिर देव दक्षिण वाम कैसा ।। लक्ष्य तक_______ ।
प्रश्न 4.
इस काव्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
इस काव्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
प्रश्न 5. आशय स्पष्ट कीजिए [1]
किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं।
प्रश्न 6.
कवि ने पथिक को बाण का उदाहरण क्यों दिया है? [2]
कवि ने पथिक को बाण का उदाहरण क्यों दिया है? [2]
खण्ड : 2
प्रश्न 7.
दिए गए बिन्दुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबंध लिखिए: [8]
(क) पर्यावरण संरक्षण : हमारा दायित्व
दिए गए बिन्दुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबंध लिखिए: [8]
(क) पर्यावरण संरक्षण : हमारा दायित्व
- प्रस्तावना
- पर्यावरण : जीवन का मूल आधार
- पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व तथा प्रदूषण के दुष्परिणाम
- जनचेतना : हमारा दायित्व
- उपसंहार
(ख) खुला शौच मुक्त भारत
- प्रस्तावना
- खुला शौचालय से आशय
- सरकारी प्रयास, जनजागरण तथा हमारा योगदान
- उपसंहार।
(ग) इण्टरनेट : वरदान या अभिशाप
- प्रस्तावना
- इण्टरनेट के लाभ एवं हानियाँ।
- सदुपयोग की समझ
- उपसंहार।
(घ) राजस्थान के प्रमुख मेले
- प्रस्तावना
- राजस्थान के प्रमुख मेले
- पर्यटन पर मेलों का प्रभाव
- उपसंहार।
प्रश्न 8.
स्वयं को राजकीय बालिका सीनियर सैकण्डरी विद्यालय, बलरामपुर, कोटा की छात्रा शीतल सैन मानते हुए अपने विद्यालय की प्रधानाचार्या को छात्रावास की कमियों का वर्णन करते हुए उन्हें दूर करने के लिए एक शिकायती पत्र लिखिए। [4]
अथवा
स्वयं को एक पुस्तक विक्रेता अथर्व शर्मा मानते हुए राजपाल एण्ड सन्स, दिल्ली को पत्र लिखो जिसमें नवीनतम प्रकाशित पुस्तकों की सूची व कमीशन का पूरा विवरण दिया गया हो।
स्वयं को राजकीय बालिका सीनियर सैकण्डरी विद्यालय, बलरामपुर, कोटा की छात्रा शीतल सैन मानते हुए अपने विद्यालय की प्रधानाचार्या को छात्रावास की कमियों का वर्णन करते हुए उन्हें दूर करने के लिए एक शिकायती पत्र लिखिए। [4]
अथवा
स्वयं को एक पुस्तक विक्रेता अथर्व शर्मा मानते हुए राजपाल एण्ड सन्स, दिल्ली को पत्र लिखो जिसमें नवीनतम प्रकाशित पुस्तकों की सूची व कमीशन का पूरा विवरण दिया गया हो।
खण्ड : 3
प्रश्न 9.
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण बताइये। [2]
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण बताइये। [2]
प्रश्न 10.
‘अथर्व ने पुस्तक पढ़ी।” वाक्य में निहित कारक, काल और वाच्य लिखिए। [3]
‘अथर्व ने पुस्तक पढ़ी।” वाक्य में निहित कारक, काल और वाच्य लिखिए। [3]
प्रश्न 11.
तत्पुरुष समास की सोदाहरण परिभाषा लिखिए। [2]
तत्पुरुष समास की सोदाहरण परिभाषा लिखिए। [2]
प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए: [2]
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए: [2]
- खरगोश को काटकर गाजर खिलाओ।
- मेले में अनेकों दुकानें थीं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए: [2]
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए: [2]
- अपने मुह मियाँ मिट्ठू बनना।
- डंके की चोट पर कहना।
प्रश्न 14.
ऊँट के मुँह में जीरा’ लोकोक्ति का अर्थ लिखिए। [1]
ऊँट के मुँह में जीरा’ लोकोक्ति का अर्थ लिखिए। [1]
खण्ड : 4
प्रश्न 15.
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए: [6]
संदेसनि मधुबन कूप भरे।
अपने तो पठवत नहीं मोहन, हमरे फिरि न फिरे ।।
जिते पथिक पठए मधुबन कौं, बहुरि न सोध करे।
कै वै स्याम सिखाइ प्रमोधे, कै कहुँ बीच मरे।।
कागद गरे मेघ, मसि खूटी, सर दव लागि जरे ।।
सेवक सुर लिखने कौ आंधौ, पलक कपाट अरे।।
अथवा
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगायी थी,
यह स्वतन्त्रता की चिनगारी अन्तरतम से आयी थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छायी थीं,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचायी थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में भी
कुछ हलचल उकसानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए: [6]
संदेसनि मधुबन कूप भरे।
अपने तो पठवत नहीं मोहन, हमरे फिरि न फिरे ।।
जिते पथिक पठए मधुबन कौं, बहुरि न सोध करे।
कै वै स्याम सिखाइ प्रमोधे, कै कहुँ बीच मरे।।
कागद गरे मेघ, मसि खूटी, सर दव लागि जरे ।।
सेवक सुर लिखने कौ आंधौ, पलक कपाट अरे।।
अथवा
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगायी थी,
यह स्वतन्त्रता की चिनगारी अन्तरतम से आयी थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छायी थीं,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचायी थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में भी
कुछ हलचल उकसानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए: [6]
देखो समय सागर में एक दिन सब संसार अवश्य मग्न हो जायेगा। कालवश शशि सूर्य भी नष्ट हो जायेंगे। आकाश में तारे भी कुछ काल पीछे दृष्टि न आवेंगे। केवल कीर्ति-कमल संसार-सरोवर में रहे वा ने रहे, और सब तो एक तप्त तवे की बूंद हुए बैठे हैं। इस हेतु बहुत काल तक सोच समझ प्रथम यह विचार किया कि कोई देवालय बनाकर छोड़ जाऊँ, परन्तु थोड़ी ही देर में समझ में आ गया कि इन दिनों की सभ्यता के अनुसार इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं, और यह तो मुझे भली-भाँति मालूम है कि यही अंग्रेजी शिक्षा रही तो मन्दिर की ओर मुख फेर कर भी कोई नहीं देखेगा।
अथवा
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं।
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए: [6]
देखो समय सागर में एक दिन सब संसार अवश्य मग्न हो जायेगा। कालवश शशि सूर्य भी नष्ट हो जायेंगे। आकाश में तारे भी कुछ काल पीछे दृष्टि न आवेंगे। केवल कीर्ति-कमल संसार-सरोवर में रहे वा ने रहे, और सब तो एक तप्त तवे की बूंद हुए बैठे हैं। इस हेतु बहुत काल तक सोच समझ प्रथम यह विचार किया कि कोई देवालय बनाकर छोड़ जाऊँ, परन्तु थोड़ी ही देर में समझ में आ गया कि इन दिनों की सभ्यता के अनुसार इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं, और यह तो मुझे भली-भाँति मालूम है कि यही अंग्रेजी शिक्षा रही तो मन्दिर की ओर मुख फेर कर भी कोई नहीं देखेगा।
अथवा
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं।
प्रश्न 17.
कृष्ण एवं राधा की प्रथम भेंट को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। (उत्तर सीमा 200 शब्द) [6]
अथवा
दूध नीर मिल दोय, हेक किसी आक्रित हुवै।
करै न न्यारौ कोय, राजहंस बिना राजिया।”
उपर्युक्त सोरठे का भावार्थ लिखिए।
कृष्ण एवं राधा की प्रथम भेंट को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। (उत्तर सीमा 200 शब्द) [6]
अथवा
दूध नीर मिल दोय, हेक किसी आक्रित हुवै।
करै न न्यारौ कोय, राजहंस बिना राजिया।”
उपर्युक्त सोरठे का भावार्थ लिखिए।
प्रश्न 18.
“हर काम करने वाला नाम तो चाहता ही है।” जेलर द्वारा कही इस पंक्ति का सागरमल ने क्या उत्तर दिया? (उत्तर सीमा 200 शब्द) [6]
अथवा
दादू के देशाटन एवं उनसे जुड़े पावन तीर्थों पर प्रकाश डालिए।
“हर काम करने वाला नाम तो चाहता ही है।” जेलर द्वारा कही इस पंक्ति का सागरमल ने क्या उत्तर दिया? (उत्तर सीमा 200 शब्द) [6]
अथवा
दादू के देशाटन एवं उनसे जुड़े पावन तीर्थों पर प्रकाश डालिए।
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर 40 से 50 शब्दों में दीजिए :
प्रश्न 19.
कृष्ण ने भोली राधा को बातों में कैसे उलझा लिया? [2]
कृष्ण ने भोली राधा को बातों में कैसे उलझा लिया? [2]
प्रश्न 20.
“इहाँ कुम्हड़बतियाँ कोउ नाहीं” पंक्ति में लक्ष्मण की कौनसी विशेषता का पता चलता है? [2]
“इहाँ कुम्हड़बतियाँ कोउ नाहीं” पंक्ति में लक्ष्मण की कौनसी विशेषता का पता चलता है? [2]
प्रश्न 21.
‘ग्रीष्म ऋतु में बादल और हवा’ की क्या स्थिति हो गई है? [2]
‘ग्रीष्म ऋतु में बादल और हवा’ की क्या स्थिति हो गई है? [2]
प्रश्न 22.
लेखक ने देवालय बनाने का विचार क्यों त्याग दिया? [2]
लेखक ने देवालय बनाने का विचार क्यों त्याग दिया? [2]
प्रश्न 23.
समाज की दृष्टि में कैसे लोग दण्डनीय हैं? [2]
समाज की दृष्टि में कैसे लोग दण्डनीय हैं? [2]
प्रश्न 24.
लेखक के पड़ोसी वकील के मन में कौनसा दाह है? [2]
लेखक के पड़ोसी वकील के मन में कौनसा दाह है? [2]
प्रश्न संख्या 25 से 28 का उत्तर एक पंक्ति में दीजिए:
प्रश्न 25.
सारे बंधन तोड़कर कौन कहाँ चला गया? [1]
सारे बंधन तोड़कर कौन कहाँ चला गया? [1]
प्रश्न 26.
ऋतुवर्णन में ‘ऋतुराज’ किसे कहा गया है? [1]
ऋतुवर्णन में ‘ऋतुराज’ किसे कहा गया है? [1]
प्रश्न 27.
‘अमर-शहीद’ एकांकी का मुख्य-पात्र कौन है? [1]
‘अमर-शहीद’ एकांकी का मुख्य-पात्र कौन है? [1]
प्रश्न 28.
विवेकानन्द ने समाधि कहाँ लगायी थी? [1]
विवेकानन्द ने समाधि कहाँ लगायी थी? [1]
प्रश्न 29.
निम्नलिखित रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए: [4]
निम्नलिखित रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए: [4]
- सूरदास
- भारतेन्दु हरिश्चन्द।
प्रश्न 30.
जतिन के माता-पिता ने उसका पालन-पोषण कैसे किया था? [4]
जतिन के माता-पिता ने उसका पालन-पोषण कैसे किया था? [4]
We hope that this post will help you to understand the exam pattern of R.B.S.E. If you have any query regarding Rajasthan Board of Education sample papers for Class 10, drop a comment below. Thank you!
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